और मुझे लगता था तुम दिन भर क्या करती थी ?

प्यारी मम्मी,

आपकी जगह पर आकर मुझे एहसास हुआ की इतने सालों में आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है जिसके बारे में पूरी तरह से शायद ही मैं कभी लिख पाऊं | कितना आसान था घर पर सब कुछ हाथों में मिल जाना | आपके अंदर के भावों को शायद आज मैंने थोड़ा जाना है, जब मैं घर की सब जिम्मेदारियां समझने लगी हूँ |
जब मैं स्कूल जाने के लिए बचपन में तैयार होती थी तो जादू से आप मेरा डब्बा और नास्ता समय पर बना देती थी | अब तो बस मैं भागते-भागते काम करती हूँ पर फिर भी सब कुछ समय पर नहीं हो पाता |

जब मैं स्कूल से आती थी तो आप मेरे लिए मेरी पसंद का कुछ बना कर रखती थी | अब तो बस मुझे दूसरों की पसंद का ही ध्यान रहता है | शायद आप भी अपनी पसंद को side में रखकर मेरी पसंद का बना दिया करती थीं |

जब शाम को मैं हॅसते हुए टीवी देखा करती थी तब आप किचन में बर्तन धोया करती थीं | आज वही मेरा favorite शो छोड़ कर मैं बर्तन धोया करती हूँ | न जाने आपने कितने favorite शो हमारे और घर के लिए छोड़े होंगे |

जब मैं बीमार होती थी तब आप मुझे परहेज़ का खाना देती थीं | मैं आपको ही बुरा मानकर वो खाना खाया करती थी | आज जब बीमार पड़ती हूँ तो वो ही परहेज़ करती हूँ | आज समझ में आता है वो खिचड़ी क्यों आप खिलाया करती थीं |

चरणानुयोग का पालन हो इसलिए आप निरंतर काम करती रहती थीं | बारिश से पहले गेहूं, मसाले आदि सामान धो के सुखाना, नयी-नयी recipe बना के हमको बाहर के खाने से बचाना, सब कुछ शोध के बनाना, मसालों की मर्यादा याद रखना, घर में सफाई रखना आदि न जाने कितने अनगिनत काम आपको याद रहते थे जिन्हें आप समय से कर लिया करती थीं | आप तो सुपरवूमन हो, मुझसे तो न जाने कितनी गलतियां हो जाती हैं |

जब धूल में कपड़े गंदे करके मैं और भाई घर आते थे तो आप डाँटा करती थीं | पर हम फिर से वही खेल खेलकर अगले दिन फिर से कपड़े गंदे किया करते थे | कपड़े रगड़ रगड़ के धो के सुखाना फिर उन्हें इस्त्री करके रखना होता है ये हमें कहाँ पता था? washing मशीन तो आगयी आज, पर कपड़ो में आपके हाथों जैसी चमक अब नहीं आती | आपके हाथ कितने दुखते होंगे आज समझ में आता है |

घर में दिवाली पर एक-एक कोना आप पापा के साथ मिलकर चमका देती थीं | और मुझे लगता था सामान इधर से उधर रखना है पुताई करनी है और होगया इसमें क्या है ! ये तो मैं समझ ही नहीं पायी की ये तो extra work था जो आप रोज के इतने सारे कामों के साथ करती थीं | इतना थक कर भी दिवाली की मिठाई खिलाने में आपने कमी नहीं की | सच में आपके पास कोई superpower तो नहीं है जो आप इतना काम कर लेती हो |

आप मुझे बोलती थी कि working वुमन बनना जॉब करना | अब समझ आया क्यों ऐसा कहती थीं | घर के अनेक काम करो तब भी सब ये समझते हैं दिन भर घर में बैठे रहती हैं करती ही क्या हैं ? पर सच पूछो तो अगर आप working वुमन होती तो मुझे स्कूल का होमवर्क कौन करवाता ? मेरी पसंद का ध्यान कौन रखता ? चौके की शुद्धि का ध्यान रखते हुए आगम के अनुकूल खाना कौन बनाता? क्या मुझे बचपन में कोई कहानियां सुनाता? क्या मुझे स्कूल से वापिस आने पर आपका प्यार मिलता? कौन मुझे पाठशाला भेजने का ध्यान रखता ? कौन मुझे मंदिर लेकर जाता और पूजन सिखाता? और भी न जाने कितना कुछ miss हो जाता अगर आप घर में रह कर कुछ नहीं करती तो |

आपके ambition, career, dream सब कुछ हम थे | अच्छी शिक्षा, संस्कार और बहुत सारा प्यार ये ही तो दिया है आपने हमें | इसके सिवा आपने और किया ही क्या है ? आखिर आपने दिनभर किया ही क्या है ?

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ये पत्र उन सभी महिलाओं को समर्पित है जिनके रहने से चार दीवार घर बनी है | प्रायः देखा जाता है की सबको घर में ये लगता है की मम्मी तो दिन भर घर में रहती हैं तो वो करती ही क्या हैं ? काम तो पापा करते हैं दुकान पर जाते हैं, कमाने जाते हैं | बच्चे कितने busy हैं पूरा दिन पढाई करते हैं | पर मम्मी तो न काम पर जाती हैं न पढाई करने जाती हैं फिर मम्मी करती क्या हैं ? काम ही क्या है उनके पास? वो तो दिन भर free हैं |

ऐसा अगर आपको अभी भी लगता है तो एक दिन अपनी मम्मी को एक जगह बैठा दीजिये और घर के सारे काम खुद कीजिये | फिर आप शायद ये बात कभी नहीं कहेंगे की मम्मी दिनभर करती क्या हैं ?