क्या आप up to date हैं?

अ: (pubg खेलते हुए)
ब: अरे ये तुम मोबाइल क्या कर रहे हो? प्रवचन में नही चलना क्या?
अ: दिख नही रहा मैं busy हूँ। pubg खेल रहा हूँ। लो मर गया न तुम्हारे चक्कर में।
ब: क्या बात करते हो तुम तो ये खड़े हो ज़िंदा। और आत्मा भी कभी मरता है क्या?
अ: तुम्हे कुछ नही पता market के बारे में। कितने outdated हो तुम।
ब: मैं भले ही outdated हो सकता हूं पर जिस वाणी को तुम इस कषाय बढ़ाने वाले game के चक्कर में ठुकरा रहे हो ना वो बिल्कुल up to date है।
अ: (हँसते हुए) वो 2000 साल पुरानी किताबे भी क्या up to date हो सकती हैं?
ब: हमारी जिनवाणी माता तो तुम्हारे इन सब गेमो से कही ज्यादा updated हैं। आचार्यो ने ये बात की तुम्हे pubg प्रवचन से ज्यादा अच्छा लगेगा 2000 साल पहले लिख दी थी। और सिर्फ तुम्हारी नही हर उस जीव की कथा लिखी है जो विषय में सुख मान कर बैठा है।
अ: अच्छा तो क्या आचार्य ने मेरी भी कथा लिखी है?
ब: हाँ। बताओ तुम ये मोबाइल में game क्यों खेलते हो?
अ: क्योंकि मुझे इसमे मजा आता है।
ब: तो अगर ज़िन्दगी भर तुम्हे ये game खिलाएंगे तो मजा आएगा?
अ: नही नहीं, ज़िन्दगी भर कैसे मैं ये गेम खेल सकता हूँ? बोर होजाऊँगा मै तो ।
ब: ऐसे 4 दिन के सुखाभास के लिए तुम अपनी आत्मकथा सुनने से मना कर रहे हो। अरे प्रवचन में तो ज़िन्दगी भर बोर न हो ऐसी बात आती है। तुम्हारा ये game तो कुछ दिन का है, कल फिर कोई नई कषाय पोषक game आजाएगी और तुम फिर से पिछड़ जाओगे। पर आत्मा की बात तो अनादि काल से अनंत काल तक up to date रहेंगी।
अ: तो क्या मैं भी ऐसे आत्मा की बात सुन कर up to date रह सकता हूँ?
ब: हां बिल्कुल, तुम ऐसे आत्मा की बात सुनकर उसका श्रद्धान करके तीन काल के लिए up to date हो सकते हो।
अ: फिर उसके लिए मुझे क्या करना होगा?
ब: उसके लिए तुम्हे ये mobile में game खेलना छोड़कर मेरे साथ मन्दिर में प्रवचन सुनने चलना पड़ेगा।
अ: मैं तुम्हारे साथ चल तो लूं पर मुझसे 1 घण्टे शांति से बैठा नही जाता।
ब: अरे भाई! आचार्य देव तो कहते हैं की जैसे भी बने मरकर भी शुद्ध जीवस्वरूप का अनुभव करो और तुम एक घण्टा शांति से नही बैठ सकते। प्रयास तो करो। ये आत्मा की बात तो आबाल-गोपाल सबको समझ में आये और रुचिकर लगे ऐसी है।
अ: अच्छा ऐसा है तो क्यों ना मैं भी मेरी कथा आज तुम्हारे साथ सुनने चलूं।
ब: बहुत उत्तम विचार है। चलो।