उपादान-निमित्त

S– जय जिनेन्द्र दिव्या | तुम क्या सोच रही हो ? Is everything alright?

D– जय जिनेन्द्र सौम्य | Yes, everything is good. आज मैंने प्रवचन में सुना की गाड़ी बिना पेट्रोल के चलती है | तभी से सोच रही हूँ की ऐसा कैसे possible है |

S- क्यों possible नहीं है ? तुमने उपादान-निमित्त का concept नहीं पढ़ा क्या?

D- पढ़ा तो था but फिर भी I am still confused. जब पेट्रोल खत्म हो जाता है तब कार कहाँ चलती है? teacher के बिना पढाये बच्चो को ज्ञान कैसे होगा ? बनारसी दास जी ने भी ऐसे ही भाव व्यक्त किये हैं |

गुरु उपदेश निमित्त बिना, उपादान बलहीन;

ज्यों नर दूजे पाँव बिन, चलवे को आधीन।

निमित्त के बिना कार्य हो ही नहीं सकता |

S- ऐसा नहीं है | निमित्त कुछ कार्य करता या कराता नहीं है | वो तो बस उस time present रहता है | बनारसी दास जी ने ऐसे भी भाव व्यक्त किये हैं |

ज्ञान नैन किरिया चरन, दोऊ शिवमग धार;

उपादान निहचै जहाँ तहाँ निमित व्योहार |

D– इसका मतलब हमे निमित्त की जरूरत तो पड़ती ही है | अगर वो उस time वहाँ present न हो तो कुछ नहीं हो सकता | अगर मेरा चश्मा नहीं हो तो मुझे दिखाई कैसे देगा ?

S- ये तो तुम्हारी आँखों की capability है तभी तुम चश्मे की help से देख पाती हो | किसी अंधे इंसान को चश्मा लगा दो तो क्या वो देख पायेगा ?

D– नहीं | वो तो नहीं देख पायेगा पर…. अकेले उपादान से भी तो काम नहीं होगा | अगर मुनिराज नहीं आते तो भगवन महावीर को शेर की पर्याय में सम्यक्त्व कैसे होता? फिर उनको उपदेश कौन देता ?

S– जब अपना उपादान हो तो निमित्त को आना ही पड़ता है | पर उपादान और निमित्त दोनों का परिणमन independent है | जैसे हम जब चलते हैं तो धर्म द्रव्य निमित्त होता है but वो हमें चलाता नहीं है | अगर वो चलाता हो तो हमे हर समय चलते रहना चाहिए क्यूंकि वह तो हर समय present रहता है |

D– हाँ ! जैसे class में teacher सबको एक जैसा पढ़ाते हैं तब भी हर एक student के अलग-अलग marks आते हैं | इससे पता चलता है की किसकी कितनी subject को समझने की capability है |

S– अगर कोई student न पढ़े तो वो fail भी हो जाता है | teacher ने तो सबको पढ़ाया था फिर ऐसा क्यूँ हुआ ? निमित्त तो सब बच्चो के लिए समान ही हैं परन्तु कोई pass कोई fail होते हैं।

D- पर उस student की capability मतलब उपादान नहीं था तो निमित्त कुछ नहीं कर पाया | अच्छा | अभी समझी कार्य तो उपादान से ही होता है | गाड़ी तो स्वयं से चलती है | बस petrol उस टाइम present रहता है |

S- हाँ | अब तुम समझ गयीं | की कार्य का मूल कारण तो उपादान ही है, परन्तु उस समय जिस पर आरोप आये उसे निमित्त कहते हैं |

D- तुमने बहुत अच्छा समझाया | thank you ,bye. Jai jinendra

S- bye jai jinendra.

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